वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आत्मनिर्भर भारत के लिए प्रधानमंत्री द्वारा बताए गए 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज के तीसरे हिस्से पर से पर्दा उठाया। उन्होंने कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों पर फोकस करते शुक्रवार मत्स्य उद्योग के विकास के लिए 20,000 करोड़ रुपए के पैकेज का ऐलान किया। सीतारमण ने कहा कि इस पैकेज को लागू करने से मत्स्य उद्योग का निर्यात बढ़कर दोगुना हो जाएगा। इसके साथ ही 50 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। यहां हम जानेंगे कि इस योजना में क्या, किसे, कितना, कब और कैसे मिलेगा।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना लांच करेगी सरकार
क्या है योजना : मत्स्य उद्योग के एकीकृत, टिकाऊ और समावेशी विकास के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना लांच होगी।
कितना पैसा खर्च होगा: सरकार ने इस योजना के लिए 20,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। इसमें से 11,000 करोड़ रुपए मेराइन, इनलैंड फिशरीज और एक्वाकल्चर गतिविधियों के लिए दिए जाएंगे। शेष 9,000 करोड़ रुपए इंफ्रास्ट्र्रक्चर पर खर्च किए जाएंगे, जिसमें फिशिंग हार्बर्स, कोल्ड चेन, बाजारआदि शामिल हैं।
किसे मिलेगा : मछुआरों और मत्स्य पालन उद्यमियों को मिलेगा योजना का लाभ। बेरोजगार युवकों को रोजगार मिलने की उम्मीद है।
कैसे मिलेगा : केज कल्चर, सी विड फार्मिंग, ओर्नामेंटल फिशरीज और नए फिशिंग वेसल्स, ट्रेसेबिलिटी, लैबोरेटरी नेटवर्कआदि गतिविधियों पर पैसा होगा खर्च। जिस अवधि में मछुआरे मछली नहीं पकड़ते, उस अवधि में मछुआरों को मदद की जाएगी। मछुआरों और उनकीबोट का बीमा किया जाएगा।
क्या होगा फायदा : अगले 5 साल में 70 लाख टन का अतिरिक्त मछली उत्पादन होगा। 55 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। मत्स्य निर्यात दोगुना होकर एक लाख करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा।
किस क्षेत्र पर होगा फोकस : इस योजना के तहत इनलैंड, हिमालय क्षेत्र, पूर्वोत्तर और एस्पिरेशनल जिलों पर मुख्य फोकस रहेगा।
कृषि निर्यात में मत्स्य व मत्स्य उत्पादों का है अहम योगदान
फूड प्रोडक्शन मे फिशरीज और एक्वाकल्चर सेक्टर का महत्वपूर्ण स्थान है। पोषण सुरक्षा देने के साथ ही यह सेकटर 1.4 करोड़ लोगों को रोजगार देता है। यह सेक्टर कृषि निर्यात में भी अहम भूमिका निभाता है। कृषि निर्यात में मत्स्य व मत्स्य उत्पाद का योगदान वॉल्यूम के लिहाज से 13.77 लाख टन और वैल्यू के लिहाज से 45,106.89 करोड़ रुपए का है। यह कुल निर्यात का 10 फीसदी और कृषि निर्यात का करीब 20 फीसदी है। यह सेक्टर देश की जीडीपी में 0.91 फीसदी योगदान करता है।
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