मथुरा में अनलॉक हुए सिर्फ दो मंदिर; 100 करोड़ से ज्यादा की कमाई वाला मुडिया पूनो मेला कैंसिल, कथावाचकों की एडवांस बुकिंग रद्द https://ift.tt/3862pBO - Sarkari NEWS

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Saturday, June 27, 2020

मथुरा में अनलॉक हुए सिर्फ दो मंदिर; 100 करोड़ से ज्यादा की कमाई वाला मुडिया पूनो मेला कैंसिल, कथावाचकों की एडवांस बुकिंग रद्द https://ift.tt/3862pBO

वृंदावन के बिहारी पुरा में रहने वाले 42 साल के पंकज शर्मा हर दिन सुबह स्नान के बादबांकेबिहारी मंदिरदर्शन के लिए जाते हैं। वे ऐसा पिछले कई सालों से करते आ रहे हैं, दर्शन के बाद ही वे पानी पीते हैं। कोरोना केचलते मंदिर बंद हो गया तो वेहर दिन देहरी को छूकर ही लौटने लगे।13 साल की उम्र में पिता और 20 की उम्र में मां को खो देने वाले पंकज कहते हैं, ‘हमारोतो ठाकुर ही अब मां-बाप दोनों है। दर्शन नमिलेऐसो कभऊ ना भयो, बस जे कोरोना ने दूर कर दये, अब हमारे लाने तो मंदिर की देहरी मिल जाए जई सौभाग्य की बात।’

कोरोनावायरस की वजह से मथुरा और वृंदावन के हजारों मंदिर अभी भी बंद हैं।

अभी सिर्फ दो ही मंदिर खुले हैं
वृंदावन में सैकड़ों ऐसे भक्त हैं जो मंदिर की देहरी छूकर अपने दिन की शुरुआत करते हैं। 8 जून के बाद से देश में कई मंदिर खुल गए, मथुरा में भी खुले हैं, लेकिन सिर्फ दो। वह भी मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और श्री द्वारिकाधीश मंदिर। पांच हजार से अधिक मंदिरों वाले मथुरा, वृंदावन, गोकुल, बरसाना और गोवर्धन में श्रीबांके बिहारी मंदिर, गोविंददेव जी मंदिर, कृष्ण-बलराम मंदिर (इस्कॉनमंदिर), पागल बाबा मंदिर, प्रेम मंदिर, निधिवन मंदिर, रमन रेती आश्रम-महावन, श्रीलाडली जी मंदिर, बलदेव मंदिर, मुकुट मुखारबिंद समेत बृज के छोटे-बड़े सभी मंदिर अभी आम लोगों के लिए बंद हैं।

वृंदावन में सैकड़ों ऐसे भक्त हैं जो मंदिर की देहरी छूकर अपने दिन की शुरुआत करते हैं।

कोरोना की भेंट चढ़ गया मुडिया पूनो
बृज का प्रमुख मेला और उत्तर प्रदेश सरकार का राजकीय त्योहार मुडिया पूनो (गुरू पूर्णिमा) भी कोरोना की भेंट चढ़ गया है। एक से पांच जुलाई तक चलने वाले मेले में गोवर्धन में एक करोड़ से ज्यादा लोगआते थे। संकरी गलियों वाले बृज क्षेत्र में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन मुमकिन न होने की आशंका के कारण इस मेले को ही कैंसिल कर दिया गया है।

मंदिरों के बंद रहने और इक्का-दुक्का ट्रेनें चलने केकारण धार्मिक पर्यटन पर टिकी मथुरा की अर्थव्यवस्था घुटनों पर आ गई है। होटल खाली पड़े हैं, पोशाक बेचने वाले, प्रसाद वाले, मिठाई वाले, टैक्सी-ट्रैवल्स सबके कारोबार प्रभावित हो रहे हैं। करीब चार हजार तीर्थ पुरोहित भी बिना जजमानों के खाली ही बैठे हैं।

उत्तर प्रदेश बृज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष शैलजा कांत मिश्रा कहते हैं कि इसक्षेत्र में एक सालमें 2.5 से तीन करोड़ लोग आते हैं। लोग यहां करीब पांच हजार से अधिक मंदिरों के दर्शन करते हैं, गोवर्धन की परिक्रमा करते हैं। रोज 15 हजार गाड़ियां आती हैं। बृज तीर्थ विकास परिषद तीर्थ स्थानों पर सुविधाएं तैयार करने का काम करता है, अभी 42 स्थानों पर 300 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट चल रहे हैं।

हर दिन करीब 5 हजार से अधिक लोग गोवर्धन पहाड़ की परिक्रमा करते थे, अब न के बराबर लोग आते हैं।

100 करोड़ से ज्यादा का व्यापार ठप
गुरूपूर्णिमा पर लगने वाले मुडिया पूना मेले के स्थगित होने का सबसे ज्यादा असर गोवर्धन पर पड़ा है। गोवर्धन के प्रमुख मंदिर दानघाटी के मुख्य सेवायत पवन कौशिक कहते हैं कि आमतौर पर एकादशी से पूर्णिमा तक के पांच दिनों में आठ से 10 लाख लोग और हर महीने करीब15 लाख लोग गाेवर्धन पर्वत की परिक्रमा लगाने आते थे। अब लोगों का आना करीब-करीब बंद है। महीने में 60 से 80 लाख रुपए का चढ़ावा आता था, अभी वो भी लगभग बंद है।

परिक्रमा मार्ग में ही करीब 200 मंदिर पड़ते हैं, सभी बंद हैं, इनसे जुड़े सेवायतों, पुजारियों, प्रसाद बेचने वालों सभी का करोबार बंद है। वहीं, मुडिया पूनो पर गोवर्धन में ही सौ करोड़ से अधिक रुपए का व्यापार हो जाता था, लेकिन इस बार मेला कैंसिल होने के कारण फूल वाले, होटल वाले, रेस्त्रां वाले, टेम्पो-टैक्सी सबका कारोबार ठप्प हो गया है।

गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा मार्ग में कुछ दुकानें खुली हैं, लेकिन ग्राहक नदारद हैं।

दो मंदिर खुले लेकिन भक्त नहीं पहुंच रहे
मथुरा में जो दो मंदिर खुले हैं वहां दाेनों मंदिरों से भी भक्त नदारद हैं। जन्मभूमि में 20 जून की आरती के समयमंदिर प्रबंधन और सिक्योरिटी वालों को छोड़ दें तो सिर्फ 6लोग ही विशाल हॉल में मौजूद थे। वहीं इन दिनों सुबह 10 बजे भक्तों के लिए खुलने वाले द्वारकाधीश मंदिर में 10 मिनट के बाद ही भक्तों की लाइन खत्म हो जाती है।

श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के प्रबंध समिति सदस्य गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी कहते हैं ब्रज मंडल की अर्थव्यवस्था ही तीर्थ यात्रियों पर टिकी हुई है। देश-विदेश से लोग आते थे जो अभी बंद है। ज्यादातर स्थानीय लोग ही मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं।

जन्मभूमि आठ जून से खुल गई है, पहले जहां 15-20 हजार श्रद्धालु हर दिन आते थे, अभी एक हजार मुश्किल से आ पाते हैं। मुडिया पूनाे मेले के पांचों दिन कड़ी सुरक्षा के बावजूद भी एक लाख लोग दर्शन करने आते थे, लेकिन अभी तो सब खत्म है। सेवा संस्थान के 44 कमरों में से एक भी बुक नहीं हुआ है, वहीं भोजनालय में जिसमें 300 लोग खाना खाते थे वहांएक दिन में एक ही थाली लगी है।

यहीहाल श्री द्वारिकाधीश मंदिर का भी है। मंदिर के मीडिया प्रभारी राकेश तिवारी कहते हैं कि अभी मंदिर सिर्फ दिन में दो घंटे सुबह 10 से 11 और शाम में6 से 7 बजे तक ही खुल रहा है। लॉकडाउन के पहले आठ से 10 हजार श्रद्धालु रोजआते थे लेकिन अभी सौ से 150 ही आ रहे हैं। यहां आनेवालों में बहुत से बुजुर्ग होते हैं, उन्हें कोरोना का खतरा ज्यादा है, मन में डर है इसलिए वो मंदिर आने से बच रहे हैं।

लॉकडाउन के पहले यहां हर 20 हजार श्रद्धालु आते थे, अभी बड़ी मुश्किल से एक हजार आ पा रहे हैं।

96 फीसदी सेवाएं कैंसिल हो रही हैं

बृज क्षेत्र में सर्वाधिक भीड़ वाले मंदिरमें से श्री बांकेबिहारी जी मंदिर की पतली सी गली में फिलहाल सड़क बन रही है। गली में बिजली के तारों को अंडर ग्राउंड करने का काम भी चल रहा है। मंदिर के सेवाधिकारी बालकृष्ण गोस्वामी बताते हैं कि मंदिर में सिर्फ पांच सेवायत, छह भंडारी ही जा सकते हैं। बांकेबिहारी जी का दिन में आठ बार भोग लगता है उसके साथ ही दीपक, पुष्प बैठक आदि की सेवा हो रही है। आम तौर पर भक्त पहले से ही सेवा बुक करवा लिए होते थे लेकिन अभी96 फीसदी सेवाएं कैंसिल हो रही हैं।

बांकेबिहारी मंदिर में हर महीने 15 से 20 लाख लोग दर्शन के लिए आते थे, अभी सिर्फ पूजारी ही मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं।

मंदिर में हर महीने15 से 20 लाख लोग दर्शन केलिए दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान के अलावा विदेशों से पहुंचते थे। गोस्वामी कहते हैं कि हमने अपने पूर्वजों से ही सुना था कि बृज की गलियों में ऐसा सूनापन उसी समय आया था जब भगवान कृष्ण द्वारिका प्रस्थान कर गए थे। अब कोरोना ने यहां की गलियांसूनी कर दी हैं।

हम मंदिर में सोशल डिस्टेंसिंग, सैनिटाइजेशन की व्यवस्था कर सकते हैं लेकिन गली और वृंदावन की जिम्मेदारी प्रशासन ले तो ही मंदिर खोले जा सकते हैं। अभी तो मुडिया पूनो तक मंदिर आम लोगों के लिए बंद ही रहेंगे।

होटल खुले लेकिन नाम मात्र की ही बुकिंग
मथुरा के प्रमुख होटल व्यवसायी राजीव अग्रवाल कहते हैं कि वहां सौ छोटे-बड़े होटल हैं, लेकिन बुकिंग मुश्किल से 5 % हो रही है। खुद राजीव के तीन होटल हैं, जिनमें से अभी दो खाेले हैं। बुकिंग न के बराबर हो रहीहै। किसी दिन दो रूम बुक होते हैं तो किसी दिन चार। कर्मचारियों का वेतन, बिजली बिल जैसे खर्च भी निकाल पाना मुश्किल हो रहा है।

गोवर्धन के विंगस्टन होटल के मैनेजर ब्रह्मजीत सिंह चौहान कहते हैं कि 22 मार्च से होटल बंद था और 8 जून से शुरू किया है।हमारे यहां एनसीआर, जयपुर, गुजरात और महाराष्ट्र से सर्वाधिक बुकिंग आती हैं। पांच लाख रुपए महीने का होटल का खर्च है, लेकिन अभी तो इसे चलाना ही मुश्किल हो रहा है।

जो लोग बाहर निकल रहे हैं उनमें से ज्यादातर ऐसे लोग हैं जो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे हैं।

सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं, महिलाएं साड़ी के पल्लू को ही मास्क बना लेती हैं
बृज की संकरी गलियों और बाजारों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हमने किसी को करते हुए नहीं देखा।50 फीसदी लोग ही मास्क पहने नजर आए। दुकानों के बाहर सफेद गोले जरूर बने हैं लेकिन कोई भी उनका इस्तेमाल नहीं कर रहा है। वहीं वृंदावन या गोर्वधन की गलियां हों या मथुरा के होलीगेट, महिलाएं मास्क पहनने के बजाए साड़ी के पल्लू को ही मास्क के रूप में इस्तेमाल करती नजर आईं।

कथा वाचकों की एडवांस बुकिंग हुई कैंसिल, 2020 तक कथा की योजना नहीं
मथुरा-वृंदावन और ब्रज क्षेत्र में देश-विदेश में श्रीमद् भागवत और राम कथा कहने वाले करीब 24 प्रमुख संत-आचार्य रहते हैं। लॉकडाउन के कारण नसिर्फ इनकी कथाएं कैंसिल हुईं है बल्कि एडवांस बुकिंग भी बंद हो गई है। ज्यादातरविदेशों में कथाएं करने वाले संजीव कृष्ण ठाकुर जी बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान बर्मिंघम, ईस्ट लंदन, पुर्तगाल, कनाडा और अमेरिका की 10 से 12 कथाएं कैसिंल हो गईं।

22 से 28 जून को न्यूजर्सी में श्रीमद् भागवत कथा थी, लेकिन वह भी कैंसिल कर दी है। अभी तो कथा के लिए नतो यजमान ही फोन कर रहे हैं और नही हम कथा करने के मूड में हैं। 2020 तक ऐसा कोई प्रोग्राम नहीं है। कहते हैं कि 23 वर्षों से कथा वाचन कर रहा हूं पहली बार इतना लंबा अंतराल खुद के लिए मिला है। मैं इस दौरान ग्रंथ पढूंगा।



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कोरोनावायरस की वजह से मथुरा के 5 हजार से ज्यादा मंदिर अभी भी बंद है। सिर्फ दो मंदिर खोले गए हैं लेकिन वहां भी आने वाले भक्तों की संख्या काफी कम है।


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