नौकरी छोड़कर फ्लाई ऐश ब्रिक्स मशीन बनाने की फैक्ट्री लगाई, घाटा हुआ तो दाेबारा नौकरी की, अब उसी फैक्ट्री से कर रहे हैं सालाना 1.5 करोड़ रु की कमाई https://ift.tt/2PfWfGP - Sarkari NEWS

Breaking

This is one of the best website to get news related to new rules and regulations setup by the government or any new scheme introduced by the government. This website will provide the news on various governmental topics so as to make sure that the words and deeds of government reaches its people. And the people must've aware of what the government is planning, what all actions are being taken. All these things will be covered in this website.

Saturday, August 1, 2020

नौकरी छोड़कर फ्लाई ऐश ब्रिक्स मशीन बनाने की फैक्ट्री लगाई, घाटा हुआ तो दाेबारा नौकरी की, अब उसी फैक्ट्री से कर रहे हैं सालाना 1.5 करोड़ रु की कमाई https://ift.tt/2PfWfGP

जब इंसान कुछ कर गुजरने की ठान लेता है तो बड़ी से बड़ी मुश्किल भी उसकी राह नहीं रोक पाती है। यह साबित किया है दिल्ली के शरद शर्मा ने। शरद को इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद अच्छी नौकरी मिली। लेकिन, कुछ सालों में नौकरी छोड़ अपने फ्लाई ऐश ब्रिक्स और कंक्रीट ब्लॉक बनाने वाली मशीनों के निर्माण का कारोबार शुरू किया।

इस बिजनेस में 6 महीने बाद घाटा हुआ। ऐसे में शरद ने दोबारा नौकरी शुरू की और अपने बिजनेस को भी संभाला। नौकरी में शरद एक मल्टीनेशनल कंपनी में जीएम के पद तक पहुंचे। सालाना पैकेज 21 लाख रुपए का था लेकिन, इस नौकरी को छोड़कर पूरा वक्त फैक्ट्री को दिया। अब शरद ने अपनी इस फैक्ट्री में 8 से 10 लोगों को रोजगार भी दिया है और वे इससे सालाना डेढ़ करोड़ रुपए की कमाई भी कर रहे हैं।

शरद शर्मा की नोएडा में फ्लाई ऐश ब्रिक्स और कंक्रीट ब्लॉक मशीन बनाने की फैैक्ट्री

फैक्ट्री घाटे में गई तो 2007 में दाेबारा नौकरी शुरू की ताकि फैक्ट्री को दोबारा खड़ा कर सकें

मूलत: हरिद्वार के रहने वाले शरद बताते हैं कि साल 1990 में मैकेनिकल ब्रांच में बीटेक करने के बाद नौकरी के सिलसिले में दिल्ली आए थे। दिल्ली आते ही उन्हें अच्छी नौकरी भी मिल गई। लेकिन, उनकी मंजिल कुछ और ही थी। साल 1998 में शरद ने दो दोस्तों के साथ मिलकर फ्लाई ऐश ब्रिक्स और कंक्रीट ब्लॉक बनाने वाली मशीनों के निर्माण का कारोबार शुरू किया। इसके लिए शरद ने करीब 4 लाख रुपए का इनवेस्टमेंट कर नोएडा में एक फैक्ट्री खोली।

शुरुआत में जान-पहचान और अनुभव में कमी के कारण कारोबार कुछ खास तरक्की नहीं कर पाए। 6 महीने बाद कारोबार में घाटा होना शुरू हो गया और दो साल बाद फैक्ट्री बंद करने की नौबत आ गई, ऐसे में दोस्तों ने भी साथ छोड़ दिया। मुश्किल हालात में भी शरद ने हार नहीं मानी और फैक्ट्री का संचालन अकेले ही जारी रखा। इस बीच एक वक्त ऐसा आया जब शरद की सारी जमा पूंजी खत्म हो गई।

फैक्ट्री को चलाए रखने के लिए शरद ने साल 2007 में दाेबारा नौकरी शुरू की। नौकरी के साथ-साथ शरद फैक्ट्री पर भी ध्यान देते थे। इस दूसरी पारी में शरद ने कई कंपनियां बदलीं। नौकरी के दौरान वे शरद एक मल्टीनेशनल कंपनी में जीएम की पोस्ट तक पहुंचे, जहां उन्हेंं सालाना करीब 21 लाख रुपए सैलरी मिलती थी।

5 साल बाद हालात सुधरे तो मल्टीनेशनल कंपनी के जीएम का पद छोड़ दोबारा फैक्ट्री को संभाला

शरद का कहना है कि नौकरी के साथ-साथ फैक्ट्री का संचालन करने के लिए उन्हें दिन-रात मेहनत करनी पड़ी। करीब पांच साल बाद फैक्ट्री के काम ने रफ्तार पकड़ी। ऐसे में साल 2012 में शरद ने मल्टीनेशनल कंपनी में जीएम की नौकरी छोड़कर पूरी तरह से फैक्ट्री का काम संभाल लिया। पिछले 8 सालों से शरद अपना कारोबार संभाल रहे हैं, आज उनकी फैक्ट्री का सालाना टर्नओवर करीब 1.5 करोड़ रुपए है।

उनकी फैक्ट्री से 8 से 10 लोगों को रोजगार मिल रहा है। इसमें स्थायी और अस्थायी दोनों तरह के कर्मचारी शामिल हैं। शरद का कहना है कि लॉकडाउन से पहले उनकी फैक्ट्री में ज्यादा कर्मचारी थे। कुछ कर्मचारी लॉकडाउन के कारण अपने घरों को चले गए हैं। अभी काम कम होने के कारण नए कर्मचारी भी नियुक्त नहीं किए हैं।

फैैक्ट्री में इस तरह होता है मशीनों का निर्माण

चीन से सस्ती और अधिक गुणवत्ता वाली मशीनों का निर्माण

शरद का कहना है कि उनकी फैक्ट्री में बनाई जाने वाली मशीनें चीन से सस्ती और अधिक गुणवत्ता वाली हैं। फ्लाई ऐश से ईंट बनाने वाली ऑटोमेटिक मशीन चीन से 25 से 30 लाख रुपए में आती है जो उनकी फैक्ट्री में 15 से 20 लाख रुपए में तैयार हो जाती है। शरद के मुताबिक, उनकी फैक्ट्री में 60 हजार रुपए से लेकर 40 लाख रुपए तक की मशीनें बनाई जाती हैं।

कोई भी कारोबार शुरू करने से पहले उसके मार्केट की पहचान जरूर करें

शरद बताते हैं कि कोई भी कारोबार को शुरू करने से पहले उससे जुड़े मार्केट की पहचान जरूरी है। आप चाहे कितना भी अच्छा उत्पाद बना लें लेकिन आपको अगर उसके मार्केट की पहचान नहीं है तो आपको वो उत्पाद बेचने में काफी कठिनाई होगी। इसके अलावा कारोबार से जुड़ी ट्रेनिंग और पहले से उसी कारोबार से जुड़े अनुभवी लोगों के साथ बैठकर कारोबार की बारीकियों को समझा जा सकता है।

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर्स को सरकार के सहयोग की दरकार

शरद ने बताया कि सरकार चीन से मुकाबले के लिए मैन्युफैक्चरिंग में आत्मनिर्भर होने की बात कह रही है। लेकिन, इसके लिए जरूरी कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। देश में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में काफी संभावनाएं हैं। अगर सरकार इस सेक्टर की मदद करे और प्रोत्साहन दे तो देश को आत्मनिर्भर बनने से नहीं रोका जा सकता है। देश में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ेगा तो ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा। सरकार को एमएसएमई पर विशेष ध्यान देना चाहिए।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Entrepreneur Story : Set up fly ash bricks machine making factory in noida after leaving job now earning is1.5 crore per year


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3ffCzNO

No comments:

Post a Comment