केरल में पहला मरीज मिलने के 100 दिन पूरेः कोरोना को हराने में केरल, वियतनाम सबसे किफायती https://ift.tt/3do4b2O - Sarkari NEWS

Breaking

This is one of the best website to get news related to new rules and regulations setup by the government or any new scheme introduced by the government. This website will provide the news on various governmental topics so as to make sure that the words and deeds of government reaches its people. And the people must've aware of what the government is planning, what all actions are being taken. All these things will be covered in this website.

Saturday, May 9, 2020

केरल में पहला मरीज मिलने के 100 दिन पूरेः कोरोना को हराने में केरल, वियतनाम सबसे किफायती https://ift.tt/3do4b2O

भारत में कोरोना का पहला मामला केरल में मिला था। इसे 100 दिन पूरे हो गए हैं। तब से अब तक हालात सुधर चुके हैं। कोरोना से निपटने की केरल की कहानी वैसी ही है, जैसी वहां की मलयालम फिल्मों की होती हैं- एक्शन, स्टाइल, थ्रिलर...। वैसी ही स्टोरी केरल की कोरोना से निपटने की है। 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा की गई तो देश का हर पांचवां कोरोना संक्रमित केरल से था और सबसे ज्यादा मामले भी थे। महज 6 हफ्तों बाद वह भारत में कोरोना संक्रमण के मामले में 16वें स्थान पर है।

केरल ने कर्फ्यू, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और संक्रमण के लक्षणों वाले हजारों लोगों को क्वारैंटाइन कर दिया। संक्रमण रोकने और मरीजों की पहचान के लिए ट्रेसिंग, प्लानिंग और ट्रेनिंग पर तेजी से काम किया। यही फॉर्मूला निपाह और इबोला वायरस के मामले में भी अपनाया था। निपाह के समय से ही केरल के पास मजबूत, तेज और कुशल हेल्थ सिस्टम तैयार हो गया था। 2018 में निपाह ने भी ऐसी ही तबाही मचाई थी, निपाह पर एक महीने में ही काबू पा लिया था।

9.5 करोड़ आबादी वाले वियतनाम ने आश्चर्यजनक परिणाम दिए

केरल के जैसी ही स्क्रिप्ट उससे तीन गुना ज्यादा 9.5 करोड़ आबादी वाले वियतनाम की भी है, लेकिन उसने ज्यादा आश्चर्यजनक परिणाम दिए। वह भी केरल की तरह ही वायरस के संपर्क में जल्दी आ गया और संक्रमण भी तेजी से बढ़ा। इसने समान आकार वाले ताइवान और न्यूजीलैंड की तरह एक भी मौत नहीं होने दी। जबकि लगभग इनके बराबर जनसंख्या वाले फिलीपींस में 10 हजार मामले और 650 मौतें हो चुकी हैं। जैसे केरल में निपाह था, वैसे ही वियतनाम भी 2003 में सार्स और 2009 में स्वाइन फ्लू के घातक प्रकोप से जूझ चुका है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि दोनों स्थानों पर सिद्ध तरीकों का इस्तेमाल हुआ

वियतनाम में संक्रामक रोगों के विशेषज्ञ टॉड पोलक कहते हैं,''इनकी सफलता के कारण सामान्य हैं। इन्होंने शुरुआत में ही तेजी से और आक्रामक कार्रवाई की और सिद्ध तरीकों का इस्तेमाल करते हुए संक्रमण का दायरा सीमित कर दिया। इससे यह असर हुआ कि यह घातक स्तर पर नहीं पहुंच सका।''

केरल और वियतनाम, दोनों ही के पास सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा और विशेष रूप से शहर के वार्डों से लेकर दूरदराज के गांवों तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच, पर्याप्त संख्या में कुशल स्वास्थ्य कर्मचारी, केंद्रीकृत प्रबंधन की व्यवस्था के रूप में प्राथमिक देखभाल की मजबूत और लंबी विरासत है। इसी का फायदा उन्हें महामारियों से निपटने में भी मिला है।

इन तरीकों को अपनाकर संक्रमण फैलने से रोका
केरल ने एक लाख लोग क्वारैंटाइन किए। मॉनिटरिंग के लिए 16000 टीम बनाई। हैंड वॉशिंग स्टेशन बनाए। दवा, भोजन और देखभाल सुनिश्चित की। अधिकारी लगातार लोगों के संपर्क में रहे। लाखों लोगों को मुफ्त भोजन, पहुंचाया। वियतनाम ने यात्रा पर रोक लगाई। लॉकडाउन किया। हेल्थ स्टाफ के साथ सेना को भी ड्यूटी पर लगाया। ज्यादा से ज्यादा टेस्ट किए। अकेले हनोई में करीब 5,000 लोगों का टेस्ट और ट्रेस किया।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
केरल ने कर्फ्यू, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और संक्रमण के लक्षणों वाले हजारों लोगों को क्वारैंटाइन कर दिया। इसका फायदा मिला। -फाइल फोटो


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/35NV2xH

No comments:

Post a Comment