सरकार द्वारा 20 लाख करोड़ रुपए के 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' पैकेज का आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण तीसरा ब्रेकअप दिया। उन्होंने सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों या माइक्रो फूड एंटरप्राइजेज (MFE) के लिए 10,000 करोड़ रुपए की योजना का ऐलान किया। इस स्कीम से प्रधनामंत्री के विजन 'लोकल के लिए वोकल और लोकल से ग्लोबल' को प्रमोट किया जाएगा। इसके साथ, सरकार ने हर्बल खेती को बढ़ावा देने के लिए 4,000 करोड़ आवंटित करने की भी घोषणा की गई।
MFE के राहत पैकेज सेजुड़ी प्रमुख बातें
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार की इस योजना से सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों (MFE) को संगठित किया जाएगा। उनको तकनीकी स्तर पर जानकारी दी जाएगी, ताकि ब्रांड बनाने और मार्केटिंग करने में उसका लाभ मिले। इसी कार्य के लिए सूक्ष्म खाद्य संस्करण इकाइयों के लिए 10,000 करोड़ रुपए की योजना लाएं हैं।
किसे मिलेगा?
माइक्रो फूड एंटरप्राइजेज, फार्मर प्रॉड्यूसर ऑर्गनाइजेशन, सेल्फ हेल्प ग्रुप और कॉपरेटिव को इसका फायदा मिलेगा।
क्या मिलेगा?
इसका फायदा खेती से जुड़े अलग-अलग राज्यों के छोटे किसानों को मिलेगा। जैसे, कश्मीर में केसर, नोर्थ ईस्ट में बम्बू शूट्स, आंध्र में चिली, उत्तर प्रदेश में आम, तमिलनाडु का टर्मरिक, बिहार का मखाना या अन्य राज्यों के ऐसे ही किसानों को होगा।
कितना मिलेगा?
2 लाख सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को इसका लाभ मिलेगा। वहीं, इन इकाइयों से जुड़े लाखों लोगों को रोजगार का अवसर मिलेंगे। आय के साधन भी बढ़ेंगे।
कब मिलेगा?
इस बारे में अभी सरकार ने कुछ नहीं बताया है। जल्द इससे जुड़े दिशा-निर्देश जारी किए जा सकते हैं।
खाद्य प्रसंस्करण क्या है?
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का तात्पर्य ऐसी गतिविधियों से है जिसमें प्राथमिक कृषि उत्पादों का प्रसंस्करण कर उनका मूल्यवर्धन किया जाता है। उदाहरण के लिए डेयरी उत्पाद, दूध, फल तथा सब्जियों का प्रसंस्करण, पैकेट बंद भोजन और पेय पदार्थ खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के अंतर्गत आते हैं।
हर्बल खेती के राहत पैकेज सेजुड़ी प्रमुख बातें
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जन औषधि का बहुत महत्व है। मेडिसिनल प्लांट ने कोविड-19 के समय भी दिखाया है कि कैसे हमारे ट्रेडिशनल मेडिसिनल प्लांट आज भी काम आ रहे हैं। ऐसे में इसमें जितना आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा, उतना ज्यादा लाभ होगा।
किसे मिलेगा?
हर्बल खेती के प्रमोशन लिए 4,000 करोड़ रुपए का प्रावधान है। इससे किसानों और रीजनल मंडी को फायदा मिलेगा।
क्या मिलेगा?
10 लाख हेक्टयर यानी 25 लाख एकड़ में इसकी खेती हो पाएगी। गंगा के किनारे 800 हेक्टेयर में इसके प्लांटेशन की ड्राइव भी चलाई जाएगी।
कितना मिलेगा?
इससे किसानों की 5 हजार करोड़ रुपए की आय होगी।
कब मिलेगा?
इसके लिए रीजनल मंडी में इसके लिए नेटवर्क तैयार किया जाएगा। सरकार इससे जुड़े दिशा-निर्देश जारी किए जा सकते हैं।
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