केंद्र सरकार ने सबसे बड़ा कदम एग्रीकल्चर में प्रशासकीय सुधारों को लेकर उठाया है। इसमें आवश्यक वस्तु अधिनियम (Essential Commodities Act (1955) amended) में संशोधन करने का एलान किया गया है। सरकार ने कहा कि इसके तहत कृषि उत्पादों में अनाज, खाद्य तेल, तिलहन, दालें, प्याज और आलू को डी-रेगुलेट किया जाएगा।
किसे मिला
इस सुधार से फसलों की अधिकता से निपटने में मदद मिलेगी। अनाज, खाद्य तेल, बीज, आलू और प्याज को नियंत्रण मुक्त किया जाएगा। भंडारण के लिए कोई स्टॉक सीमा लागू नहीं होगी। इससे किसानों को फायदा होगा। वे सीजन में सस्ते कीमत पर अनाज खरीदकर या अपना अनाज स्टोर कर उसे बाद में बेच सकते हैं।
क्यों मिला
किसानों को खुले बाजार में फसलों की सही कीमत मिले, स्टॉक की कमी के कारण अनाज नुकसान न हो। इससे किसान अपने हिसाब से तय कर सकेंगे।
क्या मिला
किसानों के लिए उचित मूल्य मिलना संभव होगा। किसानों को आकर्षक कीमतों पर बेचने के लिए विकल्प प्रदान करने के लिए सेंट्रल लॉ बनाया जाएगा। अंतरराज्यीय व्यापार को बाधा मुक्त बनाया जाएगा। उत्पाद के ई-व्यापार को आसान बनाए बनाये जाने की जरूरत पर जोर दिया गया है।
कैसे मिलेगा
किसानों की उम्मीद के मुताबिक मूल्य निर्धारण के लिए स्टैण्डर्ड मैकेनिज्म होगा। इससे किसानों को अपनी कीमत तय करने में मदद करने के लिए लीगल फ्रेमवर्क मिलेगा। बुवाई से पहले किसानों के लिए सुनिश्चित मूल्य और गुणवत्ता भी तय होगी। फार्मिंग टेक्नोलॉजी की उपलब्धता बढ़ाने और बिक्री के अवसरों को बेचने के लिए भी जोर दिया गया है।
सरकार का उद्देश्य वैल्यू चेन को मजबूत करना है
एक्सिस सिक्योरिटीज के बी. गोपकुमार ने कहा कि कृषि क्षेत्र और मत्स्य पालन से संबंधित आज की घोषणाओं का उद्देश्य वैल्यू चेन और बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है। सरकार की दीर्घकालिक सोच है कि वह आर्थिक बुनियादी चीजों में सुधार लाये जो आगे सप्लाई चेन को बहाल करने में मदद करे कृषि उत्पादों की बर्बादी को कम कर बेहतर मूल्य वसूली कर सके।
उन्होंने कहा कि इससे रोजगार सृजन में मदद मिलेगी और दीर्घकालिक मांग का सृजन होगा। हमें आज घोषित उपायों के किसी बड़े तात्कालिक लाभ की उम्मीद नहीं है लेकिन सरकार की दीर्घकालिक सोच स्पष्ट है। आज की घोषणाओं के इक्विटी बाजारों पर प्रभाव सीमित होने की संभावना है क्योंकि सारे लाभ बैक एंडेड हैं।
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