अयोध्या के कुम्हारों के लिए अच्छे दिन, 80% युवा पुरखों के काम से जुड़े; बोले- लॉकडाउन के बाद राम हमारे लिए गर्मी में बारिश की बूंद की तरह https://ift.tt/2XkUsV8 - Sarkari NEWS

Breaking

This is one of the best website to get news related to new rules and regulations setup by the government or any new scheme introduced by the government. This website will provide the news on various governmental topics so as to make sure that the words and deeds of government reaches its people. And the people must've aware of what the government is planning, what all actions are being taken. All these things will be covered in this website.

Sunday, August 2, 2020

अयोध्या के कुम्हारों के लिए अच्छे दिन, 80% युवा पुरखों के काम से जुड़े; बोले- लॉकडाउन के बाद राम हमारे लिए गर्मी में बारिश की बूंद की तरह https://ift.tt/2XkUsV8

राम की पैड़ी से करीब 5 किमी दूर शहर के बाहरी हिस्से में कुम्हारों का गांव जयसिंहपुर है। गांव के कुम्हारों को श्रीराम जन्मभूमि पूजन को भव्य बनाने के लिए प्रशासन की तरफ से 1 लाख दीयों का आर्डर मिला है। लॉकडाउन में बेहाल हुए कुम्हारों के लिए यह आर्डर एक संजीवनी की तरह है।

हालांकि, ऑर्डर विनोद प्रजापति को मिला है लेकिन 600 लोगों की आबादी वाले 40 घरों को यह आर्डर बांट दिया गया है। कोई 5 हजार तो कोई 7 हजार दीये बना रहा है। कुम्हारों का कहना है कि लॉकडाउन में हालात बहुत खराब हो गए थे, लेकिन भूमिपूजन हमारे लिए गर्मी के बाद बारिश की तरह ही है।

तस्वीर जयसिंहपुर की है। भूमिपूजन के लिए दीये तैयार किए जा रहे हैं। 5 अगस्त को पीएम मोदी भूमिपूजन कार्यक्रम के लिए आएंगे।

तीन साल में गांव के 80% लोग अब पुरखों के रोजगार से जुड़े

घर के बरामदे में बैठे विनोद इलेक्ट्रिक चाक पर दीये बना रहे हैं। घर के युवा और महिलाएं दीयों को धूप में रखने और जो सूख गए हैं, उन्हें सहेजने का काम कर रही हैं। बातचीत में विनोद बताते हैं कि 30 साल पहले हम लोगों के हालात सही थे। इन्ही मंदिरों में प्रसाद वगैरह मिट्टी के बर्तनों में जाया करता था। होटलों पर मिट्टी के कुल्हड़ और गिलास हुआ करते थे। समय पलटा और मिट्टी की जगह प्लास्टिक ने ले ली।

इसके बाद हमें पुरखों का काम छोड़ कर दूसरों के यहां नौकरी करनी पड़ती थी। पैसा भी इतना नही मिलता था कि घर का खर्च ढंग से चल सके। अब पिछले तीन साल से जब से अयोध्या में दीपोत्सव मनाया जाने लगा है तब से हालात में सुधार आया है। अभी लॉकडाउन में गांव के जो लड़के बाहर कमाने-धमाने गए थे लौट कर आये हैं तो उन्हें भी काम मिल गया है। गांव वालों को आखिर क्या चाहिए। घर परिवार चलता रहे तो कौन बाहर जाना चाहता है। गांव के लगभग 80% युवा अपने पुरखों के रोजगार से जुड़ गए हैं।

विनोद कहते हैं कि गांव के 80 फीसदी युवा अब पुरखों के रोजगार से जुड़ गए हैं। जब से अयोध्या में दीपोत्सव मनाया जा रहा है तब से हालात सुधरे हैं।

फ्रिज खरीदा, घर बनवाया और शादी-ब्याह भी किया

विनोद के बेटे राकेश बताते हैं कि मैं पहले रेलवे में ऐसी कोच अटेंडेंट का काम करता था। जब 2017 में हमें 2.5 लाख दियों का आर्डर मिला तो हम घर पर ही रुक गए। मैं और मेरे दो भाई, पिता जी, मां और पत्नी ने मिलकर दीए तैयार करने शुरू किए। गांव वालों को भी ऑर्डर बांट दिया।

उस वक्त हमसे 140 रुपए प्रति सैकड़ा दीये लिए गए थे। हमारे साथ- साथ गांव वालों को भी फायदा हुआ। जब दोबारा 2018 में भी आर्डर मिला तो हमने नौकरी छोड़ दी और अपने परिवार के साथ यही काम करने लगे। साल में एक बार बड़ा ऑर्डर मिल जाता है। जबकि, दूसरे मंदिरों में भी और तीज त्योहार पर दिया जाता है।

इसके साथ ही थोड़ा बहुत इधर उधर से भी ऑर्डर मिल जाता है। इसलिए अब नौकरी छोड़ने का कोई मलाल नहीं है। राकेश कहते हैं कि अब गांव में ज्यादातर लोगों के घरों में टीवी, फ्रिज और मोटर साइकिल वगैरह है। हमने भी पिछले साल अपना घर सही करवाया है। घर के आगे टीन शेड डलवाया है ताकि दीयों को स्टोर कर सके।

25 से 30 हजार साल की बचत हो जाती है, लॉकडाउन में लगा सब खर्च हो जाएगा

विनोद के बगल रहने वाले अशोक कुमार को 6 हजार दीये बनाने हैं। अशोक बताते है कि मैं रोडवेज में मिस्त्री था। 20-25 साल हो गए थे, 2013 में हम लोगों से भी आईटीआई की डिग्री मांग ली गई, जो हमारे पास नहीं थी तो हम लोग घर पर ही रह गए। 3 -4 साल बहुत परेशान रहे, लेकिन अयोध्या दीपोत्सव की वजह से हमें नया जीवन मिल गया।

हर साल 25-30 हजार की बचत हो ही जाती है। लॉकडाउन लगा तो कोई खरीदार नहीं मिल रहा था और न ही मंदिरों में बहुत दीये जा रहे थे, हम लोग परेशान थे कि जो कुछ बचा खुचा है वह भी खत्म हो जाएगा, लेकिन प्रभु सबकी सुनते हैं। सावन का महीना जिसमें काम बंद रहता है उसमें भूमि पूजन की वजह से हमें बैठे-बिठाए काम मिल गया।

भूमिपूजन कार्यक्रम के लिए दीये तैयार किए गए हैं। उस दिन अयोध्या में दिवाली जैसा नजारा देखने को मिलेगा।

डिमांड बढ़ी तो छुट्टी पर आने वाले गांव के लोगों को भी रोजगार मिला

विनोद बताते है कि अभी भी गांव के कुछ युवा बाहर कमा खा रहे हैं, लेकिन होली-दीवाली पर आते- जाते रहते हैं। जब वह दीपावली पर आते हैं तो मालिक उनकी पगार काट लेता है। लेकिन, अब उनको इसकी चिंता नहीं रहती है। क्योंकि दीपावली में जितने दिन रुकते हैं यहीं उन्हें कम मिल जाता है। जिससे उनकी कमाई भी हो जाती है और छुट्टी भी बिता लेते हैं। मार्केट में भी डिमांड बढ़ने से हम लोगों की स्थिति थोड़ी अच्छी हुई है।

सरकार से मिला है 16 हजार रु. का इलेक्ट्रिक चाक

गांव के ही राजेश बताते हैं कि सरकार ने 2018 में हमें इलेक्ट्रिक चाक दिया , जोकि मोटर से चलता है। तकरीबन 16 हजार का है। इस पर हमारा काम दोगुनी स्पीड से होता है। साथ ही फावड़ा, तसला, मुंगरी, हथौड़ी जैसे समान भी सभी गांव वालों को मिले हैं। गांव वालों के नाम जमीन का पट्टा भी है। लेकिन, वहां मशीन से खुदाई नहीं कर सकते हैं, इसलिए मिट्टी का डम्पर मंगवाते हैं जो 4000 रुपए पड़ता है।

जब से अयोध्या में दीपोत्सव हो रहा है तब से यहां के कुम्हारों को रोजगार मिला है। हर साल 25-30 हजार रु की बचत हो जाती है।

30 साल पुरानी परंपरा लागू हो अयोध्या में तो और सुधर सकते हैं हालात

अशोक कहते है कि 30 साल पहले मंदिरों में ज्यादातर प्रसाद वगैरह मिट्टी के बर्तन में होता था। तब प्लास्टिक का चलन नहीं था। जब से प्लास्टिक आई है मंदिर और दुकानदारों ने भी हमारी सुध नहीं ली और हम बाजार से बाहर होते चले गए। हमारी सरकार से अपील है कि सभी धार्मिक स्थलों पर न सही तो कम से कम अयोध्या में मंदिरों में मिट्टी के बर्तन में प्रसाद का नियम लागू कर दे। इससे प्लास्टिक से राहत मिलेगी और हमें भी फायदा मिलेगा।

एक व्यक्ति का नहीं पूरे परिवार का बिजनेस है

बातचीत के दौरान ही हल्की रिमझिम बारिश शुरू हुई तो कैमरा देख जो महिलाएं घर मे थीं वह भी बाहर निकल आईं और घर के मर्दों के साथ मिलकर दीयों को बारिश से बचाने के लिए सहेजने लगीं। राकेश कहते हैं कि घर की महिलाएं भी चाक चलाना जानती हैं। दरअसल, ये एक व्यक्ति का नहीं बल्कि पूरे परिवार के साथ मिलकर चलाने वाला बिजनेस है।

अयोध्या से जुड़ी हुई ये खबरें भी आप पढ़ सकते हैं...

1. राम जन्मभूमि कार्यशाला से ग्राउंड रिपोर्ट / कहानी उसकी जिसने राममंदिर के पत्थरों के लिए 30 साल दिए, कहते हैं- जब तक मंदिर नहीं बन जाता, तब तक यहां से हटेंगे नहीं

2. अयोध्या से ग्राउंड रिपोर्ट / मोदी जिस राम मूर्ति का शिलान्यास करेंगे, उस गांव में अभी जमीन का अधिग्रहण भी नहीं हुआ; लोगों ने कहा- हमें उजाड़ने से भगवान राम खुश होंगे क्या?

3. अयोध्या से ग्राउंड रिपोर्ट / जहां मुस्लिम पक्ष को जमीन मिली है, वहां धान की फसल लगी है; लोग चाहते हैं कि मस्जिद के बजाए स्कूल या अस्पताल बने

4. अयोध्या में शुरू होंगे 1000 करोड़ के 51 प्रोजेक्ट / राम मंदिर के भूमि पूजन के बाद 251 मीटर ऊंची श्रीराम की प्रतिमा का भी होगा शिलान्यास; 14 कोसी परिक्रमा मार्ग पर 4 किमी लंबी सीता झील बनेगी

5. अयोध्या के तीन मंदिरों की कहानी / कहीं गर्भगृह में आज तक लाइट नहीं जली, तो किसी मंदिर को 450 साल बाद भी है औरंगजेब का खौफ



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Ground report from Ayodhya, Bhumipujan will be on 5 august, PM Narendra Modi will visit Ayodhya


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2BSSAvB

No comments:

Post a Comment